नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को सभी लोकतांत्रिक देशों से, साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि क्रिप्टो-करेंसी गलत हाथों में ना जाए,अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘‘सिडनी संवाद’’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए डाटा को इस युग के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया और कहा कि भारत ने इसकी सुरक्षा एवं निजता की रक्षा के लिए मजबूत ढांचा विकसित किया है और वह इसका इस्तेमाल लोगों के सशक्तीकरण के स्रोत के रूप में करता है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल युग ने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को पुनर्भाषित किया है और यह सार्वभौमिकता, शासन, नीति, कानूनों, अधिकारों और सुरक्षा को लेकर नए सवाल भी खड़े कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, ताकत और नेतृत्व को भी पुनर्भाषित कर रहा है। इसने प्रगति और समृद्धि के नए अवसर भी पैदा किये हैं।’’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक साझेदारी को क्षेत्र एवं दुनिया के लिए एक कल्याणकारी ताकत बताया।
उन्होंने डिजिटल युग में डाटा को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘‘भारत में हमने डाटा सुरक्षा, निजता और सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है। साथ ही साथ हम इसका उपयोग लोगों के सशक्तीकरण के स्रोत के रूप में कर रहे हैं।’’
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr"><a href="https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#WATCH</a> |PM says, "Essential for democracies to work together...It should also recognise national rights&promote trade, investment&larger public good. Take Crypto-Currency or Bitcoin for example. Important that all democracies work together&ensure it doesn't end up in wrong hands" <a href="https://t.co/QRNtQDlvLZ">pic.twitter.com/QRNtQDlvLZ</a></p>— ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/1461183591841370121?ref_src=twsrc%5Etfw">November 18, 2021</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
मोदी ने कहा कि कोई देश प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कैसे करता है, यह उसके मूल्यों और दृष्टि पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की लोकतांत्रिक परंपराएं पुरानी हैं, इसकी आधुनिक संस्थाएं मजबूत हैं। हमने हमेशा से पूरे विश्व को एक परिवार माना है। भारत की आईटी प्रतिभा ने वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था निर्मित करने में भूमिका निभाई है। इसने वाई2के (कंप्यूटर संचार तंत्र को प्रभावित करने वाला एक तरह का वायरस) समस्या के समाधान में मदद की है। दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी और सेवा के अभ्युदय में भी योगदान दिया है। आज हम कोविन प्लेटफार्म दुनिया को मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं और इसके सॉफ्टवेयर को सबके लिए हमने उपलब्ध कराया है।’’
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से जनहित के लिए नीति, समावेशी विकास और सामाजिक सशक्तीकरण के क्षेत्र में भारत के व्यापक अनुभव का लाभ विकासशील विश्व को मिल सकता है।
प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक आदर्शों और मूल्यों को परिलक्षित करने वाली दुनिया के निर्माण तथा देशों की सुरक्षा व समृद्धि के लिए इसे अहम बताया और सुझाव दिया कि भारत के इस अनुभव से विश्व के देशों व उसके लोगों को सशक्त करने तथा उन्हें इस शताब्दी के अवसरों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से, एक साथ काम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि लोकतांत्रिक देश एक साथ काम करें। भविष्य की प्रौद्योगिकी में शोध व विकास के लिए साथ-साथ निवेश करें, विनिर्माण और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित करें, साइबर सुरक्षा को लेकर खुफिया जानकारी और जमीनी सहयोग को गहरा करें, अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप तकनीक और शासन के मानक नियम कायदे विकसित करें, डाटा की सुरक्षा और उसके सीमापार प्रवाह को रोकने के लिए एक मानक तय करें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों के राष्ट्रीय अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इसके जरिए व्यापक जनहित में व्यापार और निवेश को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है।
उन्होंने क्रिप्टो-करेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का डिजिटल युग देशों की पसंद और नापसंद का ऐतिहासिक अवसर है और यह उन पर निर्भर करता है कि वे इसका उपयोग कैसे करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें तय करना है कि हमारे युग के, प्रौद्योगिकी के सभी शानदार साधन सहयोग के लिए हैं या संघर्ष के लिए, बल द्वारा शासन के लिए हैं या पसंद के अनुरूप, प्रभुत्व के लिए हैं या विकास के लिए, दबाने के लिए हैं या अवसर के रूप में ?’’ उन्होंने कहा कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में या उससे परे सहयोगियों को समय की इस मांग को सुनना चाहिए और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों के निर्वाह के लिए तैयार रहना चाहिए।
मोदी ने उम्मीद जताई कि सिडनी डायलॉग का यह मंच इस युग में ‘‘हमारी साझेदारी को आकार देने और विश्व व हमारे देशों के भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी को पूरा करने में सहायता करेगा।’’
नयी प्रौद्योगिकी को लेकर भारत के रुख का खाका पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब दूरसंचार के क्षेत्र में 5जी और 6जी सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिए निवेश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आज भारत की 130 करोड़ आबादी की डिजिटल पहचान है, आज छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड संपर्क से जोड़ा जा रहा है, भुगतान के लिए दुनिया की सबसे प्रभावी तकनीक यूपीआई देश के पास है, 80 करोड़ भारतीय इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं और 75 करोड़ लोग स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज हम प्रति व्यक्ति डाटा के सबसे बड़े ग्राहक हैं और हमारे यहां यह दुनिया में सबसे सस्ती दरों में से एक है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल और लोकतांत्रिक नेता के रूप में भारत साझा समृद्धि और सुरक्षा के लिए सभी के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की डिजिटल क्रांति हमारे लोकतंत्र, जनसांख्यिकीय और हमारी अर्थव्यवस्था के आकार में निहित है। इसे हमारे युवाओं का नवोन्मेष और उनकी उद्यमिता मजबूत कर रहे हैं।’’