आज हिंदुओं के महान नेता श्री बैकुंठ लाल शर्मा प्रेम जी की पुण्यतिथि है।
28 सितंबर को उनकी तीसरी पुण्यतिथि है।

1991 में श्री वैकुंठलाल प्रेम जी नहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता श्री एचकेएल भगत पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव में हराया था। 1996 में, उन्होंने कांग्रेस के दीप चंद बंधु को हराकर अपनी सीट बरकरार रखी। हम हिंदुओं को प्रेम जी को इसलिए याद नहीं करना चाहिए कि वे देश की राजधानी क्षेत्र से चुने हुए एक सांसद रहे अपितु इसलिए याद करना चाहिए कि 1947 को देश के विभाजन के बाद किसी भी भारतीय नेता ने भारत को अखंड बनाने के लिए अपना सर्वस्व दाव पर लगा दिया हो। उनके भीतर हिंदुओं की आन बान शान के लिए वही आग थी, जो कार्य हिंदू महासभा ने भुला दिया था। कांग्रेस द्वारा चलाए गए 1942 के 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' आंदोलन पर हिंदू महासभा के यशस्वी नेता वीर सावरकर ने हिंदुओं को चेतावनी देते हुए कहा था कि कांग्रेस का यह प्रयास कहीं 'भारत तोड़ो' परिणाम में परिवर्तित ना हो जाए । हुआ भी यही धीरे-धीरे कांग्रेस मुस्लिम लीग के चुंगल में फंस गई और पाकिस्तान निर्माण के आगे कांग्रेस ने 1947 में घुटने टेक दिए। 42 लाख बेकसूर नागरिकों की हत्याएं, स्त्रियों का अपहरण बलात्कार, करोड़ों लोग बेघर- यह सब त्रासदी भारत जनता ने भोगी। श्री प्रेम जी द्वारा एक अखंड भारत हिंदुस्तान मोर्चा का गठन किया गया जिसका उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के कब्जे में भारत के 62 जिले अभी भी है, उन्हें मुक्त कराना और अखंड भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना रहा।
एक दिन मैं उनसे मिलने पूर्वी दिल्ली में शकरपुर स्थित उनके कार्यालय गया। तब उन्होंने अखंड भारत मासिक पत्र में छपे वेदों के भाष्यकार पंडित दामोदर सातवलेकर द्वारा ब्राह्मण कर्तव्य कर्म संबंधी एक वाक्य दिखाया। जिसमें बताया गया था कि ब्राह्मण का कर्तव्य है कि 'जब राष्ट्र संकट में हो तब निजी कार्यों और क्षुद्र यानी छोटी बातों का त्याग करके अपना सर्वस्व अर्पण करके राष्ट्रहित में कार्य करना चाहिए'। उन्होंने बताया कि इस वेद वाक्य को पढ़ने के बाद ही उन्होंने भारतीय संसद से त्यागपत्र दिया। उन्होंने कहा कि सांसद रहते हुए अखंड भारत की बात कहना संभव नहीं है। सरकार की अपनी सीमाएं होती है। इस समय भारत के अंदर ही अयोध्या में हम श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण नहीं कर पा रहे, कोर्ट में सालों से केस चल रहा है।
6 दिसंबर 1992 की घटना के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में सैकड़ों मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया। आंकड़ा यह बताता है कि लगभग 500 मंदिर पाकिस्तान में कट्टरपंथियों जिहादियों द्वारा पूरी तरह नष्ट कर दिए गए। पाकिस्तान की सरकार ने उन मंदिरों के स्थान पर होटल रेस्टोरेंट और बिल्डिंग के बना ली हैं। इनमें से हिंदुओं की आस्था के कई पौराणिक महत्व के मंदिर आज ज्यादा खतरे में है, जिनके ऊपर फिल्म कट्टरपंथी घात लगाकर बैठे हुए हैं।
मां शारदा पीठ जो पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर में है और हिंगलाज माता का मंदिर आज भी बलूचिस्तान पाकिस्तान में है। भारत का हिंदू आस्था के इन तीर्थों के दर्शन पूजन से वंचित हो गया है। बांग्लादेश में ढाकेश्वरी देवी मंदिर, भवानीपुर शक्तिपीठ जो डोगरा जिले में करातोया नदी के किनारे स्थित है। कभी हिंदू प्रत्येक पूर्णमासी रामनवमी दशहरे आदि पर्व पर यहां पूरे हर्षोल्लास के साथ धार्मिक आयोजन करते थे।
1947 से पहले भारत के लिए बलिदान होने वाले लाखों स्वतंत्रता सेनानी की आंखों में केवल एक ही सपना था कि अखंड भारत पुनः स्वतंत्र हो। किंतु 15 अगस्त 1947 के विभाजन के बाद कॉन्ग्रेस नेहरू गांधी और अन्य ब्रिटिश समर्थक नेताओं का प्रयास यह रहा कि भारत की जनता अखंड भारत को भूल जाएं।
गांधी वध के बाद लगभग दस हजार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया। और जिनको पकड़ कर जेल में बंद किया गया उन पर आरोप लगाया गया कि इनके घर में सभी क्रांतिकारियों के चित्र हैं, किंतु गांधी का चित्र नहीं है, इनके घर में शस्त्र के नाम पर एक लाठी है, इनके घर में अखंड भारत का चित्र है।
नेहरू सरकार की कोशिश यही रही कि देश के हिंदू अखंड भारत के नक्शे को अपने दिमाग से पूरी तरह से भूल जाए। दशकों की कांग्रेसी मानसिकता गुलामी के बाद देश की सभी राजनीतिक पार्टियां के चुनावी एजेंडे से अखंड भारत के मानचित्र हमेशा के लिए गायब हो गया। बंटवारे के दर्द को भुला दिया गया। तीसरी पीढ़ी के बाद अखंड भारत एक प्राचीन इतिहास की बात ना रह जाए, इसलिए अखंड हिंदुस्तान परिषद और अखंड हिंदुस्तान मोर्चा संगठन का गठन किया गया। इसके साथ अखंड भारत की विचारधारा को देश के जन-जन तक पहुंचाने के लिए अखंड भारत मासिक पत्र का प्रकाशन भी प्रारंभ होने लगा।हिंदू शेर श्री बैकुंठ लाल शर्मा अखंड भारत मानचित्र का एक कैलेंडर जारी किया जिस पर प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेई, गृह मंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी, रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुखों का चित्र भी लगा हुआ था।
इस कैलेंडर का सार्वजनिक वितरण भी चलता रहा। यह श्री प्रेम जी का ही तेजस्वी व्यक्तित्व और प्रताप था कि देश के सर्वोच्च पदासीन नेताओं और सेना प्रमुखों ने भी अपना प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष समर्थन अखंड भारत के मानचित्र के प्रकाशन के लिए दे दिया था।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय नेता के रूप में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक रहे। अखंड हिंदुस्तान मोर्चा बनाने के बाद 14 अगस्त को देश विभाजन की त्रासदी को स्मरण कराने के उद्देश्य अखंड भारत दिवस मनाने की परंपरा भी उन्होंने प्रारंभ की। उनके नेतृत्व में अखंड भारत दिवस के अनेक कार्यक्रम दिल्ली मंदिर मार्ग स्थित हिंदू महासभा भवन में आयोजित किए गए।अखंड भारत के लिए संघर्ष करने वाले अपने लाखों समर्थकों और अनुयायियों द्वारा वे आज भी जीवित है।
विश्व हिंदू पीठाधीश्वर आचार्य मदन,
महंत, श्री राधाकृष्ण मंदिर, गोडसे आप्टे धाम,
हिंदू महासभा कार्यालय शारदा रोड मेरठ।